प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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निस्तार संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. पार होने का भाव ।

२. छुटकारा । मोक्ष ।

३. बचत । बचाव । उद्धार ।

४. अभीष्ट की प्राप्ति ।

५. साधन । उपाय [को॰] ।

निस्तार बीज संज्ञा पुं॰ [सं॰] पुराणानुसार वह उपाय या काम जिससे मनुष्य की इस संसार तथा जन्म, मरण आदि से मुक्ति हो जाय । जैसे, भगवान् के नाम का स्मरण कीर्त्तन, अर्चन, पादसेवन, वंदन, चरणोदक पान, विष्णु के मंत्र का जप आदि । विशेष—पुराणों में लिखा है कि कलियुग में जब लोग तपोहीन हो जायेगे तब इन्हीं सब कामों से उनकी मुक्ति होगी ।