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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

नियोग संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. नियोजित करने का कार्य । किसी काम में लगाना । तैनाती । मुकर्रंरी ।

२. प्रेरणा ।

३. अवधारण ।

४. मनु के अनुसार प्राचीन आर्यों की एक प्रथा जिसके अनुसार यदि किसी स्त्री का पति न हो तो या उसे अपने पति से संतान न होती हो ती वह अपने देवर या पति के और किसी गोत्रज से संतान उत्पन्न करा लेती थी । पर कलि में यह रिति वर्जित है ।

५. आज्ञा ।

६. निश्चय ।

७. वह आपत्ति जिसमें यह निश्चय हो कि इसी एक उपाय से यह आपत्ति दूर होगी, दूसरे से नहीं । (कौटि॰) ।