प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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निकास संज्ञा पुं॰ [हिं॰ निकसना, निकासना]

१. निकलने की क्रिया या भाव ।

२. निकालने की क्रिया या भाव ।

३. वह स्थान जिससे होकर कुछ निकले । निकलने के लिये खुला स्थान या छेद । जैसे, बरसाती पानी का निकास ।

४. द्वारा । दरवाजा । जैसे— घर का निकास दक्खिन ओर मत रखो ।

५. बाहर का खुला स्थान । मैदान । उ॰— (क) खेलत बनै घौष निकास ।—सूर (शब्द॰) । (ख) खेलन चले कुँवर कन्हाई । कहत घोष निकास जइए तहाँ खेलै धाइ ।— सूर (शब्द॰) ।

६. दूर तक जाने या फैलनेवाली चीज का आरंभ स्थान । उदगम । मूलस्थान । जैसे, नदी का निकास ।

७. वंश का मूल ।

८. संकट या कठिनाई से निकलने की युक्ति । बचाव का रास्ता । रक्षा का उपाय । छुटकारे की तदबीर । जैसे— अब तो इस मामले में फँस गए हो, कोई निकास सोचो । क्रि॰ प्र॰—निकालना ।

९. निर्वाह का ढंग । ढर्रा । वसीला । सिलसिला । जैसे,— इस समय तो तुम्हारे लिये कोई काम नहों है, खैर कौई निकास नीकालेंगे ।

१०. लाभ या आय का सूत्र । प्राप्ति का ढंग । आमदनी का रास्ता ।

११. आय । आमदनी । निकासी ।