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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

नासूर संज्ञा पुं॰ [अ॰] घाव, फोड़े आदि के भीतर दूर तक गया हुआ नली का सा छेद जिससे बराबर मवाद निकला करता है और जिसके कारण घाव जल्दी अओच्छा नहीं होना । नाड़ीव्रण । क्रि॰ प्र॰—पड़ना । मुहा॰—नासूर डालना = नासूर पैदा करना । घाव करना । छाती में नासूर डालना = बहुत कुढ़ाना । बहुत तंग करना । नासूर भरना = नासूर का घाव अच्छा हो जाना ।