प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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नाश संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. न रह जाना । लोप । ध्वंस । बरबादी । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । विशेष—सांख्यावाले कारण में लय होने को ही नाश कहते हैं क्योकि जो वस्तु है उसका अभाव नहीं हो सकता । कारण में लय हो जाने से सूक्ष्मता के कारण वस्तु का बोध नहीं होता । जब कोई कार्य कारण में इस प्रकार लीन हो जाता है कि वह फिर कार्यरूप में नहीं आ सकता तब आत्यंतिक नाश होता है । नैयायिक नाश को ध्वंसाभाव मानते हैं ।

२. गायब होना । अदर्शन ।

३. पलायन ।

४. संकट (को॰) ।

५. निधन (को॰) ।

६. अनुपलंभ (को॰) ।