नारायण हिन्दू धर्म के भगवान विष्णु का एक नाम है

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

नारायण संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. विष्णु । भगवान । ईश्वर । विशेष—इस शब्द की व्युत्पत्ति ग्रथों में कई प्रकार से बतलाई गई हैं । मनुस्मृति में लिखा है कि 'नर' परमात्मा का नाम है । परमात्मा से सबसे पहले उत्पन्न होने का कारण ज ल को 'नारा' कहते हैं ।अर्थात न शब्द ईश्वरी उत्पत्ति का मार्ग जल

जल जिसका प्रथम अयन या अधिष्ठान है उस परमात्मा का नाम हुआ 'नारायण' । महाभारत के एक श्लोक के भाष्य में कहा गया है कि नर नाम है आत्मा या परमात्मा का । आकाश आदि सबसे पहले परमात्मा से उत्पन्न हुए इससे उन्हें नारा कहते हैं । यह 'नारा' कराणस्वरूप होकर सर्वत्र व्याप्त है इससे परमात्मा का नाम नारायण हुआ । कई जगह ऐसा भी लिखा है कि किसी मन्वतंर में विष्णु 'नर' नामक ऋषि के पुत्र हुए थे जिससे उनका नाम नारायण पड़ा । ब्रह्मवैवर्त आदि पुराणों में और भी कई प्रकार की व्युत्पत्तियाँ बतलाई गई हैं । तैत्तिरीय आरण्यक में नारायण की गायत्री है जो इस प्रकार है—'नारायणाय विप्लेह वासुदेवाय घीमहि तन्नों विष्णुः प्रचोदयात्' । यजुर्वेद के पुरुषसूक्त और उत्तर नारायण सूक्त तथा शतपथ ब्राह्मण (१६ । ६ । २ । १) और शाख्यायन श्रोत सूत्र (१६ । १३ । १) में नारायण शब्द विष्णु या प्रथम पुरुष के अर्थ में आया है । जैन लोग नरनारायण को ९ वासुदेवों में से आठवाँ वासुदेव कहते हैं ।

२. पूस का महीना ।

३. 'अ' अक्षर का नाम ।

४. कृष्ण यजुर्वेद के अंतर्गत एक उपनिषद् ।

५. नर ऋषि के सखा । उ॰— नर नारायण की तुम दोऊ ।—मानस, ४ । ५ ।

६. अजामिल का एक पुत्र (को॰) ।

७. नारायणी सेना (महाभारत) ।

८. एक प्रकार का चूर्ण जो दवा के काम में आता है (को॰) ।

९. धर्मपुत्र नामक एक ऋषि ।

१०. एक अस्त्र का नाम ।