नाम का उपयोग किसी को पुकारने में किया जाता है। इस शब्द का उपयोग केवल लोगों के नाम ज्ञात करने के लिए किया जाता है। वह शब्द जिससे लोग उन्हे पुकारते हैं।

संज्ञा

उदाहरण

  1. आपका क्या नाम है?
  2. मेरा नाम यह है।
  3. मेरा नाम बहुत लम्बा है।
  4. हमारे देश का नाम भारत है।


अनुवाद


प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

नाम ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ नामन्, तुल॰ फ़ा॰ नाम] [वि॰नामो]

१. वह शब्द जिससे किसी वस्तु, व्यक्ति या समूह का बोध हो । किसी वस्तु या व्यक्ति का निर्देश करनेवाला शब्द । संज्ञा । आख्या । अभिख्या । आह्या । जैसे,—इस आदमी का नाम रामप्रसाद है, इस पेड़ का नाम अशोक है । मुहा॰—नाम उछलना = बदनामी होना । अपकीर्ति फैलना । निंदा होना । नाम उछालना = अपकीर्ति फैलाना । चारों ओर निंदा कराना । जैसे,—क्यों ऐसा काम करके अपने बाप दादों का नाम उछाल रहे हो ! नाम उठ जाना = नाम न रह जाना । चिह्न मिट जाना या चर्चा बंद हो जाना । लोक में स्मरण भी न रह जाना । जैसे,—उसका तो नाम ही संसार से उठ जायगा । नाम करना = नाम रखना । पुकारने के लिये नाम निश्चित करना । किसी दूसरे का नाम करना = दूसरे का नाम लगाना । दूसरे पर दोष लगाना । दुसरे के सिर दोष मढ़ना । जैसे,—आप चुराकर दुसरे का नाम करता है । (किसी बात का) नाम करना=कोई बात पुरी तरह से न करना, कहने भर के लिये थोड़ा सा करना । दिखाने या उलाहना छुड़ाने भर के लिये थोड़ा सा करना । जैसे,—पढ़ते क्या हैं नाम करते हैं । नाम का =(१) नामधारी । जैसे,—इस नाम का कोई आदमी यहाँ नहीं । (२) कहने सुनने भर को । उपयोग के लिये नहीं । काम कै लिये नहीं । जैसे,—वे नाम के मंत्री हैं, काम तो और ही करते हैं । (किसी के) नाम का कुत्ता न पालना = किसी से इतना बुरा मानना या घृणा करना कि उसका नाम लेना या सुनना भी नापसंद करना । नाम से चिढ़ना । नाम के लिये = (१) कहने सुनने भर के लिये । थोड़ा सा । अणु मात्र । (२) उपयोग के लिये नहीं । काम के लिये नहीं । नाम को = (१) कहने सुनने भर को । ऐसा नहीं जिससे काम चल सके । (२) केवल इतना जितने से कहा जा सके कि एकदम अभाव नही है । बहुत थोड़ा । अत्यंत अल्प । नाम को नहीं = जरा सा भी नहीं । अणु मात्र भी नहीं । कहने सुनने को भी नहीं । एक भी नहीं । जैसे,—(क) उस मैदान में नाम को भी पेड़ नहीं है । (ख) घर में नाम को भी नमक नहीं है । (ग) उसने नाम को भी जीवजंतु न छोड़ा । नाम चढ़ना = किसी नामावली में नाम लिखा जाना । नाम दर्ज होना । नाम चढ़ाना = किसी नामवली में नाम लिखना । नाम दर्ज कराना । नाम चमकना = चारों ओर अच्छा नाम होना । कीर्ति फैलना । यश फैलना । प्रसिध्ध होना । नाम चलना = लोगों में नाम का स्मरण बना रहना । यादगार बनी रहना । जैसे,—संतान से नाम चलता है । नामचार को = (१) नामोच्चार भर के लिये । नाम को । कहने सुनने भर को । पूरे तौर से या मन से नहीं । जैसें,— नामचार को वह यहाँ आता है, कुछ काम तो करता नहीं । (२) बहुत थोड़ा । किचिन्मात्र । नाम जगाना = नाम की याद कराते रहना । स्मारक बनाए रखना । ऐसा काम करना कि लोगों में स्मरण बना रहे । नाम जपना = (१) बार बार नाम लेना । बार बार नाम का उच्चारण करना । नाम रटना । (२) भक्ति या प्रेम से ईश्वर या देवता का नाम (माला फेरते हुए या यौं ही) बार बार लेना । नाम स्मरण करना । ईश्वर या देवता का स्मरण करना । नाम देना = (१) नाम रखना । नामकरण करना । (२) किसी देवता के नाम का मंत्र देना । सांप्रदायिक मंत्र का उपदेश देना । नामधरता = नाम रखनेवाला । नामकरण करनेवाला पिता । बाप । (किसी का) नाम धरना = (१) नाम स्थिर करना । नाम रखना । नामकरण करना । (२) बदनामी करना । बुरा कहना । दोष लगाना । जैसे,—ऐसा काम क्यों करो जिससे दस आदमी नाम धरे । (३) अपनी वस्तु का मोल माँगना । अपनी चीज का दाम कहना । जैसे,—पहले तुम अपनी चीज का नाम धरो, जो जँचेगा मैं भी कहुँगा । (किसी को) नाम धरना = (१) बदनाम करना । बुरा कहना । दोष लगाना । (२) दोष निकालना । ऐब बताना । जैसे, —हमारी पसंद की हुई चीज का तुम नाम नहीं धर सकते । नाम धरवाना = दे॰ 'नाम धराना' । नाम (नाँव) धराना = (१) नामकरण कराना । (२) बदनामी कराना । निंदा कराना । उ॰—(क) फिरत धरावत मेरो नामा । मातु न देति होयगी धामा । (ख) डारि दियो गुरु लोगन को डर, गाँव चवाव में नाँव धरायो । —मतिराम (शब्द॰) नाम न लेना = अरुचि, घृणा, भय आदि के कारण चर्चा तक न करना । दूर रहना । बचना । संकल्प या विचार तक न करना । जैसे,—(क) उसने मुझे बहुत दिक किया, अब उसका कभी नाम न लुँगा । (ख) उसका स्वाद इतना बुरा है कि एक बार खाओगे तो फिर कभी नाम न लोगे । (ग) अव वह यहाँ आने का नाम तक नहीं लेता । तो मेरा नाम नहीं = तो मैं कुछ भी नहीं । तो मुझे तुच्छ समझना । जैसे,—यदि सबेरे मैं उसे न लाऊँ तो मेरा नाम नहीं । नाम निकल जाना = किसी (भली या बुरी) बात के लिये नाम प्रसिद्ध हो जाना । किसी विषय में ख्याति हो जाना । किसी बात के लिये मशहुर या बद— नाम हो जाना । जैसे,—जिसका नाम निकल जाता है वह अगर कुछ न करे तो भी लोग उसी को कहते हैं । नाम निकलना = (१) किसी बात के लिये नाम प्रसिद्ध होना । (२) तंत्र आदि की युक्ति से किसी वस्तु को चुराने वाले का नाम प्रकट होना । (३) नाम का कहीं प्रकट या प्रकाशित होना । जैसे, गजट में नाम निकलना । नाम बिकलवाना = (१) बदनामी कराना । नाम में कलंक लगवाना । (२) मंत्र, तंत्र आदि द्धारा चोर का नाम प्रकट कराना । (३) किसी नामवली में से नाम कटवाना । किसी विषय से किसी को अलग कराना । नाम निकलना = (१) (भली या बुरी) बात के लिये नाम प्रसिद्ध करना । यश फैलाना या बदनामी करना । (२) मंत्र, तंत्र आदि द्वारा चोर का नाम प्रगट करना । (३) किसी नामवली से नाम काटना । किसी विषय से अलग करना । नाम पड़ना = नाम रखा जाना । नाम करण होना । नाम निश्चित होना । किसी के नाम =(१) किसी के लिये । किसी के पक्ष में । किसी के व्यवहार या उपयोग के लिये । किसी के अधिकार में । किसी को कानून द्धारा प्राप्त । जैसे,—(क) उसकी सब जायदाद स्त्री के नाम है । (ख) उसने अपनी संपत्ति भतीजे के नाम कर दी । (२) किसी को लक्ष्य करके । किसी के संबंध में । जैसे,—उसके नाम वारंट निकला है । (३) किसी के प्रति । किसी को संबोधन करके । किसी के हाथ में पड़ने के लिये । किसी को दिए जाने के लिये । जैसे,—किसी के नाम चिट्ठी आना, संमन जारी होना इत्यादि । किसी के नाम पर = किसी को अर्पित करके । किसी के निमित्त । किसी के स्मारक या तुष्टि के लिये । किसी का नाम चलाने या किसी के प्रति आदर, भक्ति प्रकट करने के लिये । जैसे, —(क) ईश्वर के नाम पर कुछ दो । (ख) उसने अपने बाप के नाम पर यह धर्मशाला बनवाई है । किसी के नाम पड़ना = किसी के नाम के आगे लिखा जाना । जिम्मेदार रखा जाना । किसी के नाम डालना = किसी के नाम के आगे लिखना । किसी के जिम्मी रखना । जैसे,— अगर उनसे रुपया वसुल न हो तो मेरे नाम डाल देना । (किसी के) नाम पर मरना या मिटना = किसी के प्रेम में लीन होना । किसी के प्रेम में खपना । प्रेम के आवेश में अपने हानि लाभ या कष्ट की ओर कुछ भी ध्यान न देना । (किसी के) नाम पर जूता न लगाना = किसी को अन्यंत तुच्छ समझना (किसी के) नाम पर बैठना = (१) किसी के भरोसे संतोष करके स्थिर रहना । किसी के ऊपर यह विश्वास करके धैर्य धारण करना या उद्योग छोड़ देना कि जो कुछ उसे करना होगा, करेगा । जैसे,—अब तो ईश्वर के नाम पर बैठ रहते हैं, जो कुछ होना होगा सो होगा । (२) किसी के आसरे में या किसी के ख्याल से कोई ऐसा काम न करना जिसका करना स्वाभाविक या आवश्यक हो । जैसे,—(क) यह स्त्री कब तक अपने पति के नाम पर बैठी रहेगी ओर दूसरा विवाह न करेगी? (ख) कब तक अपने मित्र के नाम पर बैठे रहोगे, उठो तैयारी करो । नाम पुकारना = ध्यान आकर्षित करने या बुलाने के लिये किसी का नाम लेकर चिल्लाना । (किसी का) नाम बद करना = बदनामी करना । कलंक लगाना । दोष लगाना । नाम बदनाम करना = कलंक लगाना । ऐब लगाना । बदनामी करना । (किसी का) नाम बद होना = किसी बुरी बात के लिये किसी का नाम प्रसिद्ध हो जाना । नाम निकल जाना । नाम बाकी रहना = (१) मरने या कहीं चले जाने पर भी कीर्ति का बना रहना । लोगों में स्मरण बना रहना । (२) केवल नाम ही नाम रह नाम और कुछ न रहना । पुरानी बातों के कारण प्रसिद्ध मात्र रह जाना पर उन बातों का न रहना । जैसे,—सिर्फ नाम बाकी रह गया है कुछ जायदाद अब उनके पास नहीं है । नाम बिकना = नाम प्रसिद्ध हो जाने के कारण किसी की वस्तु का आदर होना । नाम मशहूर होने से कदर होना । नाम बिगाड़ना = (१) कोई बुरा कान करके बदनामी करना । (२) बदनामी करना । कलंक लगाना । नाम मिटना = (१) नाम जाता रहना नाम न रहना । स्मारक या कीर्ति का लोप होना । (२) नाम तक शेष न रहना । कोई चिह्न न रह जाना । एक दम अभाव हो जाना । नाम मात्र = नाम लेने भर को । बहुत थोड़ा । अत्यंत अल्प । (कोई) नाम रखना = (१) नाम निश्चित करना । नामकरण करना । (किसी का) नाम रखना = (१) नाम निश्चित करना । नामकरण करना । (२) कीर्ति सुरक्षित रखना । अच्छा या बड़ा काम करके यश को स्थिर रखना । नाम डूबने न देना । जैसे,—यह लड़का अपने बाप का नाम रखेगा । (३) बदनामी करना । निंदा करना । बुरा कहना । दे॰ 'नाम धरना' । (किसी को) नाम रखना = (१) बदनाम करना । बुरा कहना । दोष लगाना । (२) दोष निकालना । नुक्स निकालना । ऐब बताना । दे॰ 'नाम धरना' । नाम लगना = किसी दोष या अप- राध के संबंध में नाम लिया जाना । दोष लगना । कलंक मढ़ा जाना । जैसे,—किया किसी ने और नाम लगा हमारा । नाम लगाना = किसी दोष या अपराध के संबंध में नाम लेना । दोष मढ़ना । अपराध लगाना । कलंक लगाना । जैसे,—खुद तुम्हीं ने यह काम किया और अब दूसरे का नाम लगाते हो । (किसी का) नाम लिखना = किसी कार्य या विषय में सम्मिलित करने के लिये रजिस्टर, बही आदि में नाम लिखना । किसी मंडली, संस्था, कार्यालय आदि में सम्मिलित करना । जैसे,—इन लड़के का नाम अभी स्कुल में नहीं लिखा है । (किसी के) नाम लिखना = किसी के नाम के आगे लिखना । किसी के जिम्मे लिखना या टाँकना । जैसे,—इसका दाम हमारे नाम लिख लो । नाम लिखाना = किसी विषय या कार्य में सम्मिलित होने के लिये रजिस्टर बही आदि में नाम लिखाना । किसी मंडली, संस्था या कार्यलय आदि में सम्मिलित होना । जैसे,—इसका नाम स्कुल में जल्दी लिखाओ । (किसी का) नाम लेकर = (१) किसी प्रसिद्ध या बड़े आदमी के नाम से लोगों का ध्यान आकर्षित करके । नाम के प्रभाव से । जैसे,—यह अपने बाप का नाम लेकर भीख माँगेगा और क्या करेगा ? (२) (किसी देवता या पूज्य पुरुष का) स्मरण करके । जैसे,— अब तो भगवान का नाम लेकर इस काम को कर चलते हैं । नाम लेना = (१) नाम का उच्चारण करना । नाम कहना । (२) फलप्राप्ति के लिये या भक्तिवश ईश्वर या देवता का नाम बार बार उच्चारण करना । नाव जपना । नाम स्मरण करना । जैसे,—इस उपकार के लिये वे सदा आपका नाम लेते रहेंगे । (४) चर्चा करना । जिक्र करना । जैसे,—फिर वहाँ जाने का नाम लेते हो । (५) नाम बदनाम करना । दोष लगाना । जैसे,—क्यों व्यर्थ किसी का नाम लेते हो, न जाने किसने यह काम किया है । नाम व निशान = ऐसा चिह्न या लक्षण जिससे किसी वस्तु के होने का प्रमाण मिले । पता । खोज । जैसे,—यहाँ बस्ती का तो कहीं नाम व निशान नहीं है । नाम व निशान मिट जाना = पता न रह जाना । एकदम नाश हो जाना । नाम व निशान न होना = एकदम अभाव होना । बिल्कुल न होना । एक भी या लेशमात्र न होना । (किसी) नाम से = शब्द द्वारा निर्दिष्ट होकर या करके । जैसे, किसी नाम से पुकारना । (किसी) के नाम से = (१) चर्चा से । जिक्र से । जैसे,— मुझे तो उसके नाम से चिढ़ है । (२) (किसी का) संबंध बताकर । नाम लेकर । यह प्रकट करके कि कोई बात किसी की ओर से है । (किसी की) जिम्मेदारी बताकर । जैसे,—जितना रुपया चाहना मेरे नाम से ले लेना । (३) (किसी को) हकदार या मालिक बनाकर । (किसी के) उपयोग या भोगे के लिये । जैसे,—वह लड़के के नाम से जायदाद खरीद रहा है (४) नाम के प्रभाव से । नाम लेकर । ध्यान आकर्षित करेक । जैसे,—अपने बड़ों के नाम से भीख माँग खाओगे । (५) नाम लेते ही । नाम का उच्चारण होते ही । जैसे,—उसके नाम से वह काँपता है । नाम से काँपना = नाम सुनते ही डर जाना । बहुत भय मानना । नाम होना = (१) नाम लगना । दोष मढ़ा जाना । कलंक लगाना । जैसे,—बुराई कोई करे, नाम हो हमारा । (२) नाम प्रसिद्ध होना । जैसे,—काम तो दूसरे करते हैं, नाम उसका होता हैं ।

२. अच्छा नाम । सुनाम । प्रसिद्धि । ख्याति । यश । कीर्ति । जैसे,—इधर उनका बड़ा नाम है । क्रि॰ प्र॰—होना । मुहा॰—नाम कमाना = प्रसिद्धि प्राप्त करना । कीर्तिलाभ करना । मशहूर होना । नाम करना = कीर्तिलाभ करना । मशहूर होना । नाम करना = कीर्ति लाभ करना । प्रख्यात होना । जैसे,—उसने लड़ाई में बड़ा नाम किया । नाम को धब्बा लगाना = दे॰ 'नाम पर धब्बा लगना' । नाम को मरना = सुयश के लिये प्रयत्न करना । अच्छा नाम पाने के लिये उद्योग करना । कीर्ति के लिये जी तोड़ परिश्रम करना । नाम चलना = यश स्थिर रहना । कीर्ति का बहुत दिनों तक बना रहना । नाम जगना = नाम चमकना । कीर्ति फैलना । ख्याति होना । नाम जगना = नाम चमकना । उज्वल कीर्ति फैलाना । नाम डुबाना = नाम को कलंकित करना । यश और कीर्ति का नाश करना । मान और प्रतिष्ठा खोना । नाम डूबना = (१) नाम कलंकित होना । यश और कीर्ति का नाश होना । (२) नाम न चलना । किर्ति का लुप्त होना । स्मारक न रहना । नाम पर धब्बा लगाना = नाम को कलंकित करना । यश पर लांछन लगाना । बदनामी करना । जैसे,—क्यों ऐसा काम करके बड़ों के नाम पर धब्बा लगाते हो? नाम पाना = प्रसिद्ध प्राप्त करना । मशहूर होना । नाम रह जाना = लोगं में स्मरण बना रहना । कीर्ति की चर्चा रहना । यश बना रहना । जैसे,—मरने के पीछे नाम ही रह जाता है । नाम के पुजना = नाम प्रसिद्ध होने के कारण आदर पाना । नाम से बिकना = नाम प्रसिद्ध हो जाने से आदर पाना । नाम ही नाम रह जाना = पुरानी बातों के कारण लोगों में प्रसिद्ध मात्र रह जाना, पर उन बातों का न रहना । जैसे,—नाम ही नाम रह गया है, उनके पास अब कुछ है नहीं ।

नाम ^२ संज्ञा पुं [फा॰]

१. प्रसिद्ध । इज्जत । धाक । दबदबा ।

२. कुल । वंशपरंपरा । नस्ल ।

३. यादगार । स्मारक ।

४. कलंक । लांछन [को॰] ।