प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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नागा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ नग्न, हिं॰ नंगा] उस संप्रदाय का शैव साधु जिसमें लोग नंगे रहते हैं । उ॰— जंगम सिवरा जरै जरै नागा वैरागी । तपसी दूना जरै बचै नहीं कोऊ भागी ।— पलटू॰, भा॰ १, पृ॰ १०४ । विशेष— नागे पहले किसी प्रकार का वस्त्र धारण नहीं करते थे, एक दम नगे रहते थे । अब अँग्रेजी राज्य में एक कौपीन लगाकर निकलते हैं जिसे नागफनी कहते हैं । ये सिर की जटाओं को रस्सी की तरह बट कर पगड़ी के आकार में लपेटे रहते हैं और शरीर में भस्म पोतते हैं । ये अपने पास भस्म का एक गोला रखते हैं जिसकी नित्य पूजा करते हैं । इनकी उद्दंडता और वीरता प्रसिद्ध है । अँगरेजी राज्य के पहले ये बड़ा उपद्रव भी करते थे । वैष्णव वैरागियों से इनकी लड़ाई प्रायः हुआ करती थी जिसमें बहुत से वैरागी मारे जाते ये । नागों के भी कई अखाडे़ हेते हैं जिनमें निरंजनी और निर्वाणी दो मुख्य हैं ।

२. नंगा । नग्न । आच्छादनसहित । उ॰— भूका पोसणहार यूँ ज्यूँ जग कमलाकंत । नागां ढाकणहार इम, जिम तरवरा वसंत ।— बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ५६ ।

नागा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ नागा]

१. आसाम के पूर्व की पाहाड़ियों में बसनेवाली एक जंगली जाति । जिनका प्रेदश 'नागा लैंड' कहा जाता है ।

२. आसाम में वह पहाड़ या स्थान जिसके आसपास नागा जाति की बस्ती है ।

नागा ^३ संज्ञा पुं॰ [तु॰ नागह] किसी नित्य या निरंतर होनेवाली अथवा नियत समय पर बराबार होनेवाली बात का किसी दिन या किसी नियत अवसर पर न होना । चलती हुई कार्य- परंपरा का भंग । अंतर । बीच । जैसे,— (क) रोज काम पर जाना, किसी दिन नागा न करना । (ख) तुम्हारे कई नागे हो चुके, तनख्वाह कटेगी । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । मुहा॰— नागा देना = बीच डालना । अंतर डालना । —जैसे, रोज न आओ, एक दिन नागा देकर आया करो ।