प्रकाशितकोशों से अर्थ

सम्पादन

शब्दसागर

सम्पादन

नरेंद्र संज्ञा पुं॰ [सं॰ नरेन्द्र]

१. राजा । नृप । नरेश ।

२. वह जो साँप बिच्छू आदि के काटने का इलाज करे । विषवैद्य ।

३. श्योनाक वृक्ष ।

४. एक छंद जिसके प्रत्येक चरण में २८ मात्राएँ होती हैं, जिसमें सोलह मात्राओं पर विराम और अंत में दो गुरु होते हैं । जैसे,—मीत चौतनी धरे सीस पै, पीतांबर मन मानो । पीत यज्ञ उपवीत विराजत, मनो बसंती बानो । विशेष—इसे सार और ललितपद भी कहते हैं ।