प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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नक्षत्रामृत संज्ञा पुं॰ [सं॰] फलित ज्योतिष में यात्रा आदि कार्यों के लिये एक बहुत ही उत्तम योग । विशेष—यह किसी विशिष्ट दिन में कुछ विशिष्ट नक्षत्रों के होने पर माना जाता है । जैसे, रविवार को हस्त, पुष्य, रोहिणी या मूल आदि नक्षत्रों का होना, सोमवार को श्रवण, धनिष्ठा, रोहिणी, मृगशिरा, अश्विनी या हस्त आदि का होना, मंगलवार को रेवती, पुष्य, आश्लेषा, कृत्ति- का या स्वाती आदि का होना, आदि आदि । ऐसे योग में व्यतीपात आदि के दोषों का नाश हो जाता है ।