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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

नकुलीश पाशुपतदर्शन संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक दर्शन जिसका उल्लेख सर्वदर्शनसंग्रह में है । विशेष—इसका कोई ग्रंथ नहीं मिलता । इसमें शिव ही परमेश्वर और सब प्राणी उनके पशु माने गए हैं । जीवों के अधिपति होने के कारण महादेव पशुपति कहलाते है । इस दर्शन में मुक्ति दो प्रकार की कही गई है—अत्यँत दुःखनिवृत्ति और परमैश्वर्यप्राप्ति । दृक्शक्ति और त्रियाशक्ति के भेद से परमैश्वर्य प्राप्ति भी दो प्रकार की होती है । द्दक्शक्ति वा ज्ञान द्बारा पदार्थ ज्ञानपथ में आते हैं और क्रियाशक्ति द्बारा वे संपन्न होते हैं ।