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संज्ञा

  1. मिट्टी के कण

अनुवाद

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

धूल संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ धूनि]

१. मिट्टी, रेत आदि का महीन चूर । रेणु । रज । गर्द । मुहा॰—(कहीं) धूल उड़ाना = (१) ध्वंस होना । सत्यानाश होना । बरबादी होना । तबाही आना । (२) उदासी छाना । चहल पहल न रहना । सन्नाटा होना । रौनक न रहना । (किसी की) धूल उड़ाना = (१) दोषों और त्रुटियों का उधेड़ा जाना । बुराइयों का प्रकट किया जाना । बदमासी होना । (२) उपहास होना । दिल्लगी उड़ाना । किसी की धूल उड़ाना = (१) दोषों और त्रुटियों को उधेड़ना । बुराइयों को प्रकट करना । बदनामी करना । (२) उपहास करना । हँसी करना । धूल उड़ाते फिरना = मारा मारा फिरना । जीविका या अर्थसिद्धि के लिये इधर उधर धूमना । दीन दशा में फिरना । ब्याकुल घूमना । धूल उड़ाई जाना रही = तिरस्कार या अवहेलना होना । उ॰—धूल उनकी है उडा़ई जा रही । धूल में मिल धूल वे हैं फाँकते ।—चुमते॰, पृ॰ २७ । धूल की रस्सी बटना = ऐसी बात के लिय श्रम करना जो कभी न हो सके । अनहोनी बात के पीछे पड़ना । व्यर्थ परिश्रम करना । धूल चाटना = (१) बहुत गिड़गिड़ाना । बहुत विनती करना । (२) अत्यंत नम्रता दिखाना । धूल छानना = मारा मारा फिरना । हैरान घूमना । जैसे,—तुम्हारी खोज में कहाँ कहाँ की धूल छानते रहे । (किसी की) धूल झड़ना = (किसी पर) मार पड़ना । पिटना । (विनोद) । (किसी की) धूल झाड़ना = (१) (किसी को) मारना । पीटना । (विनोद) । (२) सूश्रूषा करना । खुशामद करना । जैसे,—उसका तो दिन भर अमीरों की धूल झाड़ते जाता है । (किसी बात पर) धूल डालना = (१) ( किसी बात को) इधर उधर प्रकट न होने देना । फैलने न देना । दबाना । (२) ध्यान न देना । जैसे, अपराधों पर धूल डालना । धूल फाँकना = (१) मारा मारा फिरना । दुर्दशा में होना । उ॰—धूल उनकी है उड़ाई जा रहो । धूल में मिल धूल वे हैं फाँकते ।—चुभते॰, पृ॰ २७ । (२) सरासर झूठ बोलना । जैसे,—क्यों धूल फाँकते हो, मैने तुम्हें खुद देखा था । धूल में फूल उगाना = निकृष्ट जगह में भी अच्छाई या अच्छी बात दिखाना । उ॰—दूसरे धूल में फूल उगाते हैं, हमें फूल में भी धूल ही हाथ आती है ।— चुभते॰ (दो दो बातें), पृ॰ ५ । (कहीं पर) धूल बरसना = उदासी बरसना । चहल पहल न रहना । रौनक न रहना । उ॰—आज दिन धूल है बरसती वाँ । हुन बरसता रहा जहाँ सब दिन ।—चुभते॰, पृ॰ २४ धूल में मिलना = नष्ट होना । चौपट होना । खराब होना । ध्वस्त होना । जाता रहना । न रह जाना । उ॰—धूल उनकी है उड़ाई जा रही । धूल में मिल धूल वे हैं फाँकते ।—चुभते॰, पृ॰ २७ । धूल में मिल जाना = दे॰ 'धूल में मिलना' । ड॰—धुल में धाक मिल गई सारी । रह गए रोब दाब के न पते ।—चुभते॰, पृ॰ २४ । धूल में मिला देना = दे॰ 'धूल में मिलाना' । उ॰—बीज को धूल में मिलाकर भी । लो नहीं धूल में मिला देते ।—चुभते॰, पृ॰ ८ । धूल में मिलाना = नष्ट करना । चौपट करना । खराब करना । बरबाद करना । धूल में रस्सी बटना = दे॰ 'धूल की रस्सी बटना' । उ॰—धूल में मत बटा करो रस्सी । आँख में धूल डालते क्यों हों ।—चोखे॰, पृ॰ १६ । (कहों की) धूल ले डालना = (कहीं पर) बहुत अधिक और बार बार जाना । बराबर पहुँचा रहना । बहुत फेरे लगाना । धूल हाथ आना = निःसार वस्तु का हाथ लगना । निरर्थक चीज पाना । उ॰—दूसरे धूल में फूल उगाते हैं, हमें फूल में भी धूल ही हाथ आती है ।—चुभते॰ (दो दो बातें), पृ॰ ५ । धूलि में मिला देना = दे॰ 'धूल में मिलाना' । उ॰— आर्य जाति को धूलि में मिला दिया ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ २९१ । पैर की धूल = अत्यंत तुच्छ वस्तु या व्यक्ति नाचीज । सिर पर धूल डालना = पछताना । सिर धुनना । उ॰—पदमिनी गवन हंस गए दूरी । हस्ति लाज मेलहिं सिर धूरी ।—जायसी (शब्द॰) ।

२. धूल के समान तुच्छ वस्तु । जैसे,—इनके सामने वह धूल है । मुहा॰—धूल समझना = अत्यंत तुच्छ समझना । किसी गिनती में न लाना । बिलकुल नाचीज लयाल करना ।