धाह
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनधाह ^१ संज्ञा स्त्री॰ [अनु॰] जोर से चिल्लाकर रोना । धाड़ । उ॰—(क) देखे नंद चले घर आंवत । पैठत पौरि छींक भई बाँई रोह दाहिने धाह सुनावत ।—सूर (शब्द॰) । (ख) ऊनै आई बादरी बरसन लगा आँगार । ऊठि कबीरा धाह दै दाझत है संसार ।—कबीर (शब्द॰) । (ख) जिन्ह रिपु मारि सुरारि नारि तेइ सीस उधारि दिवाई धाहै ।—तुलसी (शब्द॰) । मुहा॰— धाह मारना = दे॰ 'धाड़ मारना' । धाह मेलना =जोर जोर से रोना ।
धाह पु ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰] दे॰ 'ढाड़' । उ॰— जागि न रोवै धाह दे, सोवत गई बीहाइ ।—दादू पृ॰, ७३ ।