धरमी पु वि॰ [हिं॰] दे॰ 'धर्मी' । उ॰— (क) अरु यह तुम्हारौ रूप धरमि के धरमहि मोहै ।—नंद ग्रं॰, पृ॰ ११ । (ख) जे अनभजतनि भजें तौन धरमी सुखकारी ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ ३१ ।