प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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धनु संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. धनुस् । चाप । कमान । विशेष— दे॰ 'धनुस्' ।

२. ज्योतिष की बारह राशियों में से नवीं राशि जिसके अंतर्गत मूल और पूर्वाषाढ़ नक्षत्र तथा उत्तराषाढ़ा का एक चरण आता है । इसे तौक्षिक भी कहते हैं । विशेष— दे॰ 'राशि' ।

३. फलित ज्योतिष में एक लग्नविशेष जिसका परिमाण ५ । १७ । २० है । विशेष—प्रत्येक दिन रात में बारह लग्न माने जाते हैं । पूस के महीने में सूर्येदय धनु लग्न में होता है ।

४. हठयोग के एक आसन का नाम ।

५. पियाल् वृक्ष ।

६. चार हाथ की एक माप ।

७. गोल क्षेत्र के आधे से कम अंश का क्षेत्र ।

८. रेतीला तट (को॰) ।

९. तीरंदाज (को॰) ।