प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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धड़ा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ धट]

१. पत्थर लोहे आदि का बोझ जो बँधी हुई तौल का होता है और जिसे तराजू के एक पलड़े पर रखकर दूसरे पलड़े पर उसी के बराबर चीज रखकर तौलते हैं । बाट । बटखरा । मुहा॰—धड़ा करना = कोई वस्तु रखकर तौलने के पहले तराजू के दोनों पलड़ों को बराबर कर लेना । विशेष—जब किसी वस्तु को बरतन के सहित तौलना रहता है तब पहले बरतन को पलड़े पर रखकर दोनों पलड़ों को बराबर कर लेते हैं । इसी को धड़ा करना कहते हैं । धड़ा बाँधना = (१) दे॰ धड़ा करना । (२) दोषारोपण करना । कलंक लगाना ।

२. चार सेर की एक तौल । विशेष—कहीं कहीं पाँच सेर का धड़ा माना जाता है ।

३. तराजू । तुला । मुहा॰—धड़ा उठाना = तौलना । वजन करना ।

धड़ा ^२ संज्ञा पुं॰ [हि॰ धड़क्का] दल । जत्था । झुंड । समूह । मुहा॰—धड़ा बाँधना = दल बाँधना ।