प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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दौरा ^१ संज्ञा पुं॰ [अ॰ दौर]

१. चारो ओर घूमने की क्रिया । चक्कर । भ्रमण । क्रि॰ प्र॰—करना ।

२. फेरा । भमण । गश्त । इधर उधर जाने या घूमने की क्रिया ।

३. अफसर का अपने इलाके में जाँच परताल या देखभाल के लिये घूमना । निरीक्षण के लिये भ्रमण । क्रि॰ प्र॰—करना । मुहा॰—दौरे पर रहना या होना = जाँच परताल या देखभाल के लिये सदर से बाहर रहना या होना । (असामी या मुकदमा) दौरा सुपूर्द करना = (असामी या मुकदमे को) विचार या फैसले के लिये सेशन जज के पास भेजना । (फौज- दारी के भारी मुकदमों को मजिस्ट्रेट सेशन जज के पास भेज देते हैं ।) दौरा सुपुर्द होना = सेशन जज के पास विचार के लिये भेजा जाना । उ॰—हाकिम ने उन्हें दौरा सुपुर्द कर दिया ।—सेवा॰, पृ॰ १४ ।

४. ऐसा आना जाना जो समय समय पर होता रहता है । सामयिक आगमन । फेरा । जैसे,—डाकुओं के दौरे अब इधर फिर होने लगे हैं ।

५. बार बार होनेवाली बात का किसी बार होना । ऐसी बात का प्रकट होना जो समय समय पर होती रहती है ।

६. किसी ऐसे रोग का लक्षण प्रकट होना जो समय समय पर होता हो । आवर्तन । जैसे, मिरगी का दौरा । पागलपन का दौरा ।

दौरा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ द्रोण] [स्त्री॰ अल्पा॰ दौरी] बाँस की फट्टियों, कास, मूँज, बेंत आदि का बना हुआ टोकरा ।