प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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दैन्य संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. दीनता । दरिद्रता ।

२. गर्व या अहंकार के प्रतिकूल भाव । विनीत भाव । अपने को तुच्छ समझने का भाव ।

३. काव्य के संचारी भावों में से एक, जिसमें दुःखादि से चित्त अति नम्र हो जाता है । कातरता ।