प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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दृष्ट ^१ वि॰ [सं॰]

१. देखा हुआ ।

२. जाना हुआ । ज्ञात । प्रकट ।

३. लौकिक और गोचर । प्रत्यक्ष । विशेष—पातंजल दर्शन में दो प्रकार के विषय दृष्ट बतलाए गए हैं अर्थात् स्त्री, अन्न, पान आदि लौकिक विषय जिन्हें इंद्रियाँ भोगती हैं और आनुश्रविक विषय जो वेद प्रतिपादित स्वर्ग आदि से संबंध रखते हैं । इन दोनों प्रकार के विषयों से एक साथ निस्पृह हो जाने से वशीकार नामक वैराग्य उत्पन्न होता है ।

दृष्ट ^२ संज्ञा पुं॰

१. दर्शन ।

२. साक्षात्कार ।

३. सांख्य में तीन प्रकार के प्रमाणों में से एक । प्रत्यक्ष प्रमाण ।

४. स्वचक्र और परचक्र से होनेवाला भय (को॰) ।

५. डाकुओं का डर (को॰) ।