प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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दुकान संज्ञा स्त्री॰ [फा॰] वह स्थान जहाँ बेचने के लिये चीजें रखी हों ओर जहाँ ग्राहक जाकर उन्हें खरीदते हों । सौदा बिकने का स्थान । माल बिकने की जगह । हट्ट । हट्टी । जैसे, कपड़े की दुकान, हलवाई की दुकान, बिसाती की दुकान । क्रि॰ प्र॰—खोलना ।—बंद करना । मुहा॰—दुकान उठाना = (१) कारबार बंद करके दुकान छोड़ देना । (२) दुकान बंद करना । दुकान करना = दुकान लेकर किसी चीज की बिक्री प्रारंभ करना । दुकान जारी करना । दुकान खोलना । जैसे,—एक महीने से उन्होंने चौक में गोटे की दुकान की है । दुकान खोलना = दे॰ 'दुकान करना' । दुकान चलना = दुकान में होनेवाले व्यवसाय की वृद्धि होना । जैसे,—आजकल शहर में उनकी दुकान खूब चलती है । दुकान बढ़ाना या भिड़ाना = दुकान बंद करना । दुकान में बाहर रखा हुआ माल उठाकर किवाड़े बंद करना । जैसे— (क) उनकी दुकान रात को नौ बजे बढ़ती है । (ख) आज न्योते में जाना था इसीलिये दुकान जल्दी बढ़ा दी । दुकान लगाना = (१) दुकान का असबाब फैलाकर यथास्थान बिक्री के लिये रखना । वस्तुओं को बेचने के लिये फैलाकर रखना । जैसे,— जरा ठहरो दुकान लगा लें तो दें । (२) बहुत सी चीजों को इधर उधर फैलाकर रख देना । जैसे— वह लड़का जहाँ बैठता है दुकान लगा देता है ।