हिन्दी सम्पादन

प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

दीदार संज्ञा पुं॰ [फा़॰]

१. सौंदर्य । छवि ।

२. दर्शन । देखा देखी । साक्षात्कार । उ॰— आरजूए चश्मए कौसर नहीं । तिश्नालब हूँ शरबते दीदार का ।— कविता कौ॰, भा॰ ४, पृ॰ ६ । यौ॰— दीदारपरस्त = (१) सौंदर्य देखनेवाला । सूरत और श्रृंगारप्रेमी । (२) दर्शनाभिलाषी । दीदारबाजी = ताक झाँक । आँखे लड़ाना ।