दीदा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनदीदा ^१ संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰]
१. दृष्टि । निगाह । नजर ।
२. दर्शन । अवलोकन । देखादेखी ।
दीदा ^२ संज्ञा पुं॰ [फा॰ दीदहु]
१. आँख । नेत्र । उ॰— अँकिया के नहर सूँ दीदे का पानी, कर ऐसे बागे गम की बागवानी ।—दक्खिनी॰ पृ॰ २३७ । मुहा॰— दीदा लगना = जी लगना । ध्यान लगना । चित्त रमना । जैसे,— (क) यहाँ इसका दीदा क्यों लगेगा? (ख) काम मे ं उसका दीदा नहीं लगता । दीदे का पानी ढल जाना = बुरे काम के करने में लज्जा न रह जाना । निर्लज्ज हो जाना । दीदे का पानी मरना = निर्लज्ज या बेहया हो जाना । उ॰— नजीर के दीदे का तो पानी मर गया है ।— फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ३३६ । दीदे निकलना = क्रोध की दृष्टि से देखना । आँखें नीली पीली करना । दीदाधोई = स्त्री जिसकी आँखों में शर्म न हो । बेशर्म । निर्लज्ज । (स्त्रि॰) । दीदे पटम होना = आँखों का फूट जाना । (स्त्रि॰) । दीदाफटी = स्त्री जिसकी आँखों में शर्म न हो । निर्लज्ज । (स्त्रि॰) । दीदा फूटना = आँखें फूटना । आँखें अंधी होना । दीदे फाड़कर देखना = अच्छी तरह आँख खोलकर देखना । ध्यानपूर्वक देखना । टकटकी बाँधकर देखना । दीदे मटकाना = हाव भाव सहित आँखों की पुतली चमकाना । आँखे चमकाना ।
२. ढिठाई । संकोच का अभाव । अनुचित साहस । जैसे,— उसका इतना बड़ा दीदा कि वह मर्दों के सामने बात करे—(स्त्रि॰) ।