प्रकाशितकोशों से अर्थ

सम्पादन

शब्दसागर

सम्पादन

दिति ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. कश्यप ऋषि की एक स्त्री जो दक्ष प्रजापति की एक कन्या और दैत्यों की माता थीं । विशेष—जब इनके सब पुत्र (दैत्य) इंद्र और देवताओं द्वारा मारे गए तब इन्होंने अपने पति कश्यप ऋषि से कहा कि अब मैं ऐसा पराक्रमी पुत्र चाहती हूँ जो इंद्र का भी दमन कर सके । कश्यप ने कहा— इसके लिये तुम्हें सौ वर्ष तक गर्भ धारण करना पडे़गा और गर्भकाल में बहुत ही पवित्रतापूर्वक रहना पडे़गा । दिति को गर्भ हुआ और वह ९९ वर्ष तक बहुत पवित्रतापूर्वक रहीं । अंतिम वर्ष में वह एक दिन रात के समय बिना हाथ पैर धोए जाकर सो रहीं । इंद्र ताक में लगे ही थे; इन्हें अपवित्र अवस्था में पाकर उन्होंने इनके ग्रभ में प्रवेश किया और अपने वज्र से जरायु के सप्त टुकडे़ कर डाले । उस समय शिशु इतना जोर से रोया और चिल्लाया कि इंद्र घबरा गए । तब उन्होंने सात टुकडों में से हर एक के फिर सात सात टुकडे टकडे़ किए । ये ही उनचास खंड मरुत् कहलाते हैं । दे॰ 'मरुत्' । विशेष— इस शब्द में 'पुत्र' वाची शब्द लगाने से 'दैत्य' अर्थ होता है । जैसे, दितिसुत, दितितनय, दितिनंदन ।

२. तोड़ने या काटने की क्रिया । खंडन ।

३. दाता । वह जो देता हो ।

दिति ^२ संज्ञा पुं॰ राजा । नरेश [को॰] ।