दष्ट वि॰ [सं॰] जिसे किसे ने डसा हो या काट लिया हो । काटा हुआ । उ॰—चेतनाहीन मन मानता स्वार्थ धन । दष्ट ज्यों हो सुमन छिद्र शत तनु पान ।—गीतिका, पृ॰ ५८ ।