दइमारा वि॰ [हिं॰] [वि॰ स्त्री॰ दइमारी] दे॰ 'दईमारा' । उ॰— (क) दूध दही नहिं लेव रौ कहि कहि पचिहारी । कहति सूर कोऊ घर नाहीं कहाँ गई दइमारी ।—सूर (शब्द॰) । (ख) आखु धरन हित दृष्ट मँजारी । मो परि उचरि चरी दइमारी ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ १४८ ।