दंडापतानक संज्ञा पुं॰ [सं॰ दण्ड + अपतानक] एक प्रकार की वातव्याधि जिसमें कफ और वात के बिगड़ने से मनुष्य का शरीर सूखे काठ की तरह जड़ हो जाता है । उ॰—देह को दंड के समान तिरछा कर दे यह दंडापतानक कष्ट साध्य है । माधव॰, पृ॰ १३८ ।