थलज वि॰ [सं॰ स्थल + ज] स्थल पर उत्पन्न । उ॰— थलज जलज झलमलत ललिच बहु भँवर उड़ावै । उड़ि उड़ि परत पराग कछू छबि कहत न आवै ।— नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ २६ ।