प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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त्रिपिष्टप संज्ञा पुं॰ [सं॰ त्रिपुंड] भस्म की तीन आड़ी रेखाओं का तिलक जो शिव या शक्ति लोग ललाट पर लगते हैं । उ॰—गौर शरीर भूति भलि भ्राजा । भाल विशाल त्रिपुंड विराजा ।—तुलसी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—देना ।—रमाना ।—लगाना ।