प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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त्रिपिब संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह खसी, पानी पोने के समय जिसके दोनों कान पानी से छू जाते हों । ऐसा बकरा मनु के अनुसार पितृकर्म के लिये बहुत उपयुक्त होता है ।