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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

त्रिपथ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. कर्म, ज्ञान और उपासना इन तीनों मागों का समूह । उ॰—कर्मठ कठमलिया कहैं ज्ञानी ज्ञान विहीन । तुलसी त्रिपथ विहायगो रामदुआरे दीन ।—तुलसी (शब्द॰) ।

२. तीनों लोकों (आकाश, पाताल और मर्त्य लोक) के मार्ग (को॰) ।

३. वह स्थान जहाँ तीन पथ मिलते हैं । तिराहा (को॰) ।