प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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त्रिदोषना पु † क्रि॰ अ॰ [सं॰ ञिदोष] तीनों दोषों के कोप में पड़ना । उ॰—कुलहि लजावैं बाल बालिस बजावैं गाल कैधौं कर काल वश तमकि त्रिदोषे है ।—तुलसी (शब्द॰) ।

२. काम क्रोध और लोभ के फंदों में पडना । उ॰—(क) कालि की बात बालि की सुधि करी समुझि हिताहित खोलि झरोखे । कह्यो कुरोधित को न मानिए बडी़ हानि जिय जानि झरोखे । कह्यो कुरोधित को न मानिए बडी़ हानि जिय जानि त्रिदोषे ।—तुलसी (शब्द॰) ।