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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

त्रिजग पु † ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ तिर्यक्] आडा़ चलनेवाले जंतु । पशु तथा कीडे़ मकोडे़ । तिर्यक् । उ॰—(क) त्रिजग देव नर जो तनु धरऊँ । तहँ तहँ राम भजन अनुसर ऊँ ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) यहि विधि जीब चराचर जेते । त्रिजग देव नर असुर समेते । अखिल विश्व यह मम उपजाया । सब पर मोरि बराबर दाया ।—तुलसी (शब्द॰) ।

त्रिजग ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ त्रिजगत्] तीनों लोक—स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल । उ॰—किहिं विधि त्रिपथगामिनि त्रिजग पावनि प्रसिद्ध भई भले ।—पद्याकर (शब्द॰) ।