हिन्दी सम्पादन

प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

तौलना क्रि॰ स॰ [सं॰ तोलन]

१. किसी पदार्थ के गुरुत्व का परिमाण जानने के लिये उसे तराजू या काँटे आदि पर रखना । वजन करना । जोखना । संयो॰ क्रि॰—डालना ।—देना । मुहा॰—तौल तौलकर कदम धरना = सावधानी के साथ चलना । इस प्रकार धीरे चलना कि चलने में एक विशेषता आ जाय । उ॰—कुछ नाज व अदा से तौल तौलकर कदम धरती हैं ।— फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ २११ । किसी का तौलना =किसी की खुशामद करना ।

२. समझ बूझकर व्यवहार करना । ऐसा व्यवहार करना कि किसी प्रकार की गलती न हो । मुहा॰—तौल तौलकर बोलना = अत्यंत सावधानी के साथ बोलना । ऐसे बोलना कि किसी प्रकार की गलती न हो जाय ।

३. किसी अस्त्र आदि को चलाने के लिये हाथ को इस प्रकार ठीक न करना कि वह अस्त्र अपने लक्ष्य पर पहुँच जाय । साधना । उ॰—लोचन मृग सुभग जोर राग रूप भए भोर भौंह धनुष शर कटाक्ष सुरति व्याध तौले री ।—सूर (शब्द॰) ।

४. दो या अधिक वस्तुओं के गुण, मान आदि का परस्पर तुलना करके विचार करना । तारतम्य जानना । मिलान करना । उ॰—गए सब राज केते जग माँह जो बाह वली बल बोलत हैं ।—सं॰ दरिया, पृ॰ ६३ ।

५. गाड़ी का पहिया औंगना । गाड़ी के पहिए में तेल देना ।