प्रकाशितकोशों से अर्थ

सम्पादन

शब्दसागर

सम्पादन

ते पु † ^१ अव्य॰ [हिं॰] दे॰ 'तेँ' । उ॰—के कुदरत ते पैदा किया यक रतन ।—दक्खिनी॰, पृ॰ ११७ ।

ते † ^२ सर्व [सं॰ ते] वे । वे लोग । उ॰—(क) पलक नयन फनिमनि जेहि भाँती । जोगवहिं जननि सकल दिन राती । ते अब फिरत विपिन पदचारी । कंद मूल फल फूल अहारी ।— तुलसी (शब्द॰) । (ख) राम कथा के ते अधिकारी । जिनको सतसंगति आति प्यारी ।—तुलसी (शब्द॰) ।