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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

तीतर संज्ञा पुं॰ [सं॰ तित्तिर] एक प्रसिद्ध पक्षी जो समस्त एशिया और यूरोप में पाया जाता है और जिसकी एक जाति अमेरिका में भी होती है । विशेष—यह दो प्रकार का होता है और केवल सोने के समय को छोड़कर बराबर इधर उधर चलता रहता है । यह बहुत तेज दौड़ता है और भारत में प्रायः कपास, गेहूँ या चावल के खेतों में जाल में फँसाकर पकड़ा जाता है । इसका घोसला जमीन पर ही होता है और इसके अंडे चिकने और धब्बेदार होते हैं । लोभ इसे लड़ाने के लिये पालते, इसका शिकार करते और मांस खाते हैं । वैद्यक में इसके माँस को रुचिकारक, लघु, वीर्य—बल—वर्धक, कषाय, मधुर, ठंढा और श्वास, कास ज्वर तथा त्रिदोषनाषक माना है । भावप्रकाश के अनुसार काले तीतर के मांस की अपेक्षा चितकबरे तीतर का मांस अधिक उत्तम होता है ।