प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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तात ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. पीता । बाप ।

२. पूज्य व्यक्ति । गुरु ।

३. प्यार का एक शब्द या संबोधन जो भाई, वंधु, इष्ट मित्र, विशेषतः अपने से छोटे के लिये व्यवहृत होता है । उ॰— तात जनक तनया यह सोई । धनुष जग्य जेहि कारन होई ।—तुलसी (शब्द॰) ।

४. वह व्यक्ति जिसके प्रति दया का उदय हो (को॰) ।

तात † ^२ वि॰ [सं॰ तप्त, प्रा॰ तत्त]

१. तपा हुआ । गरम ।

२. दुःखी । चिंतित । उ॰— मालवणी म्हे चालिस्याँ, म करि हमारा तात ।— ढीला॰, दू॰ २७८ ।