तर्पण
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनतर्पण संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ तर्पणीय, तर्पित, तर्पी]
१. तृप्त करने की किया । संतुष्ट करने का कार्य ।
२. कर्मकांड की एक क्रिया जिसमें देव, ऋषि और पितरौ को तुष्ट करने के लिये हाथ या अरसे से पानी दैते हैं । विशेष— मध्याह्न स्नान के पीछे तर्पण करने का विधान है । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।
३. यज्ञ की अग्नि का इँधन (को॰) ।
४. भोजन । आहार(खो॰) ।
५. आँख में तेल डालना (को॰) ।