प्रकाशित कोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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तद्भव संज्ञा पुं॰ [सं॰] भाषा में प्रयुक्त होनेवाला संस्कृत का वह शब्द जिसका रूप कुछ विकृत या परिवर्तित हो गया हो । संस्कृत के शब्द का अपभ्रंश रूप । जैसे, हस्त का हाथ, अश्रु का आँसू, अर्ध का आधा, काष्ठ का काठ, कर्पूर का कर्पूर, वृत का घी ।