प्रकाशितकोशों से अर्थ
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तकावी संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ तक़ावी] वह धन जो जमींदार, राजा या सरकार की ओर से गरीब खेतिहरों को खेती के औजार बनवाने, बीज, खरीदने या कुआँ आदि बनवाने के लिये ऋण स्वरूप दिया जाय । क्रि॰ प्र॰—बाँठना ।—देना ।
२. इस प्रकार का ऋण देने की क्रिया ।