प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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डौल ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ डील?] किसी रचना का प्रारंभिक रूप । ढाँचा । आकार । ढंड्ढा । ठाट । ठट्टर । क्रि॰ प्र॰—खड़ा करना । मुहा॰—डौल डालना = ढाँचा खड़ा करना । रचना का प्रारंभ करना । बनाने में हाथ लगाना । लग्गा लगाना । डौल पर लाना = काट छाँटकर सुडौल बनाना । दुरुस्त करना ।

२. बनावट का ढंग । रचना । प्रकार । ढब । जैसे,—इसी डौल का एक गिलास मेरे लिये भी बना दो । मुहा॰—डौल से लगाना = ठईक क्रम से रखना । इस प्रकार रखना जिससे देखने में अच्छा लगे ।

३. तरह । प्रकार । भाँति । किस्म । तौर । तरीका ।

४. अभिप्राय के साधन की युक्ति । उपाय । तदबीर । ब्योंत । आयोजन । समान । उ॰—कबीर राम सुभिरिए क्यों फिरे और की डौल ।—कबीर मं॰, पृ॰ ३६५ । यौ॰—डौलडाल । मुहा॰—डौल पर लाना = अभिप्रायसाधन के अनुकूल करना । ऐसा करना जिससे कोई मतलब निकल सके । इस प्रका र प्रवृत्त करना जिससे कुछ प्रयोजन सिद्ध हो सके । डौल बाँधना = दे॰ 'डौल लगाना' । डौल लगाना = उपाय करना । युक्ति बैठाना । जैसे,—कहीं से सौ रुपए (१००) का डौल लगाओ ।

५. रंग ढंग । लक्षण । आयोजन । सामान । जैसे,—पानी बरसने का कुछ डौल नहीं दिखाई देता ।

६. बंदोबस्त में जमा का तकदमा । तखमीना ।

डौल ^२ संज्ञा स्त्री॰ खेतों की मेड़ । डाँड़ ।