प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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डोला संज्ञा पुं॰ [सं॰ डोल] [स्त्री॰ अल्पा॰ डोली]

१. स्त्रियों के बैठने की वह बंद सवारी जिसे कहार कंधों पर लेकर चलते हैं । पालकी । मियाना । शिविका । मुहा॰—(किसी का) डोला भेजना = दे॰ 'डोला देना' उ॰— डोला भेजि दीलै जौन माँगत दिल्ली को पति, मोल्हन कहत सीख मेरी सीस धरु रे ।—हम्मीर॰, पृ॰ २० । डोला माँगना = ब्याह के लिये कन्या माँगना । उ॰—मुसलमानों द्वारा डोला की माँग को अस्वीकार करने पर उनपर आक्रमण किया गया तथा उनका किला जीत लिया गया ।—सं॰ दरिया (भू॰), पृ॰ १० । (किसी का) डोला (किसी के) सिर पर या चौड़े पर उछलना = किसी दूसरी स्त्री का संबंध या प्रेम किसी स्त्री के पति के सात होना । डोला देना = (१) किसी राजा या सरदार को भेंट की तरह पर अपनी बेटी देना । (२) शुद्रों और नीची जातियों में प्रचलित एक प्रथा । अपनी बेटी को वर के घर पर ले जाकर ब्याहना । डोला निकालना = दुलहिन को बिदा करना । डोला लेना = भेंट में कन्या लेना ।

२. वह झोंका जो झूले में दिया लाता है । पेंग ।