प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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डाँक ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ दमक, दवँक अथवा देश॰] ताँबे या चाँदी का बहुत पतला कागज की तरह का पत्तर । विशेष—देशी डाँक चाँदी की होती है जिसे घोटकर नगीनों के नीचे बैठाते है । अब ताँबै के पत्तर की विदेशी डाँक भी बहुत आती है जिसके बोल और चमकीले टुकड़े काडकर स्त्रियों की टिकली, कपड़ों पर टाँकने की चमकी आदि बनती हैं । डाँक घोंटने की सान ८—९ लंबी और ३—४ अंगुल चौड़ी पटरी होती है जिसपर डाँक रखकर चमकाने के लिये घोटते हैं ।

डाँक † ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ डाँकना] कै । वमन । उलटी । क्रि॰ प्र॰—होना ।

डाँक † ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ डंका] नगाड़ा । दे॰ 'डंका' । उ॰—दान डाँक बाजै दरबारा । कीरति गई समुंदर पारा ।—जायसी (शब्द॰) ।

डाँक ^४ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ डंक] बिषैले जंतुओं के काटने का डंक । आर । उ॰—जे तव होत दिखादिखी भई अभी इक आँक । बगैं तीरछी डीठि अब ह्वै बीछी को डाँक ।—बिहारी (शब्द॰) ।