प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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डंका ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ ढक्का ( = दुंदुभि का शब्द)] एक प्रकार का बाजा जो नाँद के आकर के ताँबे या लोहे के बरतनों पर चमड़ा मढ़कर बनाया जाता है । पहले लड़ाई में डंके का जोड़ा ऊँटों और हाथियों पर चलता था और उसके साथ झड़ा भी रहता था । क्रि॰ प्र॰—बजना ।—बजाना ।—पिटना ।—पीटना । मुहा॰—डंके की चोट कहना = खुल्लम खुल्ला कहना । सबको सुनाकर कहना । बेधड़क कहना । डंका डालना = (१) मुरगे से मुरगे को लड़ाना । (२) मुरगे का चोंच मारना । डंका देना या पीटना = (१) दे॰ 'डंका बजाना' । (२) मुनादी करना । डुग्गी फेरना । डौंड़ी फेरना । डंका बजाना = हल्ला करके सबको सुनाना । सबपर प्रकट करना । प्रसिद्ध करना । घोषित करना । किसी का डंका बजना = किसी का शासन या अधिकार होना । किसी की चलती होना । उ॰—सजे अभी, साकेत, बजे हाँ, जय का डंका । रह न जाय अब कहीं किसी रावण की लंका ।—साकेत, पृ॰ ४०२ । यौ॰—डंका निशान = राजाओं की सवारी में आगे बजनेवाला डंका और ध्वजा ।

डंका ^२ संज्ञा पुं॰ [अं॰ डाक] जहाजों के ठहरने का पक्का घाट ।