डंडी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनडंडी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ डंडा]
१. छोटी लंबी पतली लकड़ी ।
२. हाथ में लेकर व्यवहार की जानेवाली वस्तु का वह लंबा पतला भाग जो मुट्ठी में लिया या पकड़ा जाता है । दस्ता । हस्था । मुठिया । जैसे, छाते की डंडी ।
३. तराजू की वह सीधी लकड़ी जिसमे रस्सियाँ लटका लटकाकर पलड़े बाँधे जाते हैं । डाँड़ी । उ॰—काहे की डंडी काहे का पलरा काहे की मारो टेनिया ।— कबीर श॰, भा॰ २, पृ॰ १५ । मुहा॰—डंडी मारना = सौदा देने में चालाकी से कम तौलना ।
- धोखेबाज़, फ़रेबी, दग़ाबाज़, डंडी मारने वाला ।
४. वह लंबा डंठल जिसमें पत्ता, फूल या फल लगा होता है । नाल । जैसे, कमल की डंडी । पान की डंडी । उ॰—कमलों के पत्ते जीर्ण होकर झड़ गए है, फूलों की कर्णिका और केसर भी गिर गई है, पाले के कारण उसमें डंढी मात्र शेष रह गई है ।—हिं॰ प्र॰ चि॰, पृ॰ १४ ।
५. फूल के नीचे का लंबा पतला भाग । जैसे, हरसिंगार की डंडी ।
६. हरसिंगार का फूल ।
७. आरसी नाम के गहने का वह छल्ला जो उँगली में पड़ा रहता है ।
८. डंडे में बैधी हुई झीली के आकार की एक सवारी जो ऊँचे पहाड़ों पर चलती है । झप्पान ।
९. लिगेंद्रिय ।
१०. दंड धारण करनेवाला संन्यासी ।