प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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डँड़िया ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ डाँड़ी ( = रेखा)]

१. वह साड़ी जिसके बीच में लंबाई के बल गोटे टाँककर लकीरें बनी हों । छड़ीदार साड़ी । उ॰—(क) लाल चोली नील डँड़िया संग युवतिन भीर । सूर प्रभु छबि निरखि रीभे मगन भौ मन कीर । —सूर (शब्द॰) । (ख) नख सिख सजि सिंगार युवती तन डँड़िया कुसुमे बोरी की ।—सूर (शब्द॰) । विशेष—इसे प्रायः कुँआरी लड़कियाँ पहनती हैं । कभी कभी यह रंग बिरंगे कई पाट जोड़कर बनाई जाती है ।

२. गेहूँ के पौधे में वह लंबी सींक जिसमें बाल लगी रहती है ।

डँड़िया ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ डाँड़( = अर्थर्दड; सीमा)]

१. महसूल वसूल करनेवाला । कर उगाहनेबला ।

२. सीमा या हद पर कर उगहनेवाला ।

डँड़िया ^३ संज्ञा स्त्री॰ [कुमा॰ डाँडी, मेपा॰ डाँडी ( = डोली)] उ॰— (क) आलहि बाँस कटाइन डँड़िया फँदाइन हो साधो ।— पलटू॰, पृ॰, ५८ । (ख) छोटि मोटि इंड़िया चंदन कै हो, छोटे चार कहार ।—कबीर श॰, भा॰, २, पृ॰, ६२ ।

२. दे॰ 'डाँड़ी' ।