ठिठरना क्रि॰ अ॰ [सं॰ स्थित या हिं॰ ठार अथवा सं॰ शीत + स्तृ > सरण] अधिक शीत से संकुचित होना । सरदी से एँठना या सिकुड़ना । जाड़े से अकड़ना । बहुत अधिक ठंढ़ खाना । जैसे, हाथ पाँव ठिठरना ।