ठबकना क्रि॰ अ॰ [हिं॰ ठमक] ठेस या ठोकर देते हुए चलना । ठसक के साथ चलना । उ॰—हबकि बोलिबा, ठबकि न चालिबा धीरे धरिबा पावं । गरब न करिबा, सहजै रहिबा भणंत गोरख रावं ।—गोरख॰, पृ॰ ११ ।