प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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ठटकना पु † क्रि॰ अ॰ [सं॰ स्थेय + करण]

१. एकबारगी रुक या ठहर जाना । ठिठकना । उ॰—(क) ठठकति चलै मटकि मुँह मोरै बंकट भौंह चलावै ।—सूर (शब्द॰) । (ख) डग कुडगति सी चलि ठठकि चितई चली निहारि । लिये जाति चित चोरटी वहै गोरटी नारि ।—बिहारी (शब्द॰) ।

२. स्तंभित हो जाना । क्रियाशून्य हो जाना । ठक रह जाना । उ॰—मन में कछु कहन चहै देखत ही ठठकि रहै सूर श्याम निरखत दुरी तन सुधि बिसराय ।—सूर (शब्द॰) ।