प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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ठट संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्थाता ( = जो खड़ा हो), या देश॰]

१. एक स्थान पर स्थित बहुत सी वस्तुओं का समूह । एक स्थान पर खड़े बहुत से लोगों की पंक्ति । मुहा॰—ठट के ठट = झुंड के झुंड । बहुत से । उ॰—रात का वक्त था मगर ठट के ठट लगे हुए थे ।—फिसाना॰, भा॰ २, पृ॰ १०४ । ठठ लगना = (१) भीड़ जमना । भीड़ खड़ी होना । (२) ढेर लगना । राशि इकट्ठी होना ।

२. समूह । झुंड । पंक्ति । उ॰—अंबर अमर हरखत बरखत फूल सनेह सिथिल गोप गाइन के ठट है ।—तुलसी (शब्द॰) ।

३. बनाव । रचना । सजावट । उ॰—परखत प्रीति प्रतीति पैज पन रहे काज ठट ठानि हैं ।—तुलसी (शब्द॰) । यौ॰—ठटवारी = संजाववाली । बनाव वाली ।