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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

ठगमूरी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ ठग + मूरि] वह नशीली जड़ी बूटी जिसे ठग लोग पथिकों को बेहोश करके उनका धन लूटने के लिये खिलाते थे । मुहा॰—ठगमूरी खाना = मतवाला होना । होशहवाश में न रहना । उ॰—(क) काहु तोहि ठगोरी लाई । बूझति सखी सुनति नहिं नेकहु तुही किधौं ठगमूरी खाई ।—सूर (शब्द॰) । (ख) ज्यों ठगमूरी खाइके मुखहि न बोलै बैंन । टुगर टुगर देष्या करै सुंदर बिरहा ऐँन ।—सुदंर॰ ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ६८३ ।

ठगमूरी ^२ वि॰ स्त्री॰ ठगमूरी से प्रभावित । उ॰—टक टक ताकि रही ठगमूरी आपा आप बिसारी हो ।—पलटू॰, भा॰ ३, पृ॰ ८४ ।